शनिवार, 18 अप्रैल 2009

मेरे गौरांग प्रभु और उनकी कंठ लंगोट

राम चंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा
एक दिन हर आदमी कंठ लंगोट लगायेगा

मेरा भारत मेरा प्यारा भारत, अपनी संस्कृति के लिए जाने जाना वाला भारत , कभी गाँधी और उनके स्वदेशी आदर्शो वाला हमारा भारत ............................ और भी बहुत कुछ वाला भारत |
क्या हुआ मेरे भारत को आज! कभी अपनी संस्कृति के लिए हमेशा विश्व में जाने जाना वाला भारत, आज क्यों उन गौरांग प्रभुओ ( अंग्रेजो) के तौर तरीको को अपनाने में लगा हुआ है | माना की ग्लोब्लिज़शन का ज़माना है भइया पर एक बात मुझे समझ में नही आती | क्या ये उदारीकरण के कारन हम अपनी संस्कृति को ही भूल जायेंगे क्या ?
लोग तो ये समझने लगे है की जब तक है सूट पहन के जेम्स बोंड की स्टाइल में ये नही कहेंगे - बोंड , माय नेम इस बोंड । तब तक कोई मानने के लिए ही तैयार नही है की हम इंटेलिजेंट है ये कहा का इंसाफ है भाई | ओर मेने तो यहाँ तक देखा है की कुछ लोग समझदार बनने के चक्कर में भरी धुप में सिर्फ़ फैशन के चक्कर में ३ पीस का सूट ओर गले में कंठ लंगोट ( टाई) पहन घूमते नज़र आते ओर कहते है - हाउ आर यू ओर भी नाना नाना प्रकार के अंग्रेजी के वर्ड जो आम आदमी की समझ से परे है ................
पर एक बात कुछ रास नही आई अंग्रेज अंग्रेजी छोड़ गए हमने सहा , पर तुमरे ये सड़े ओर इतनी गर्मी के काले काले कपड़े क्यों छोड़ गए हमारे लिए यार ............... अब माना की तुम इंग्लैंड में रहते हो ओर इंग्लैंड एक ठंडा प्रदेश है इसीलिए तुम काले कोट पहनते हो ओर टाई जिसे हमारी भाषा में कंठ लंगोट कहा जाता है वो पेहेनते हो | पर हमारे भारत में तो बड़ी गर्मी पड़ती है फ़िर भी हुमरे कुछ विदेशभक्त भारत वासी कोट पेहेन कर हमे गुलामी का एहसास करवाते रहते है|
हमारे भारत में अक्सर देखा जाता है की शादी के समय दूल्हा कंठ लंगोट और ३ पीस सूट में, और हमारी प्यारी दुल्हन भरतीय लिबास साड़ी में दिखाई देती है में पूछना चाहूँगा ये कौन सा इन्साफ है की एक भारतीय नारी की एक भारतीय फिरंगी से शादी की जाए ...............
भइया हम तो ठहरे शुद्ध भारतीय हमे तो कतई रास नही आती मेक्डोनाल्ड में बर्गर ओर पिज्जा हट में पिज्जा वाली ढकोसले वाली विदेशी संस्कृति| हमे तो चाहिए रोज़ एक गरम चाय की प्याली ओर अचार पराठा ओर जिंदगी से कुछ नही चाहिए |
आज हमे चाहिए की हम उनकी गुलामी छोडे ओर कंठ लंगोट का तिरस्कार करे मेरे गौरांग प्रभु नही तो फिर से आने ही वाले है कुछ समय में |
और अब तो बापू भी नही है जो इनका सालो का विरोध करे! ये तो आयेंगे ओर हमे पता भी नही चलेगा ऐसे हमे लूट के चले जायेंगे फ़िर हम कहते रहेंगे ...............
आह मेरा गोपालक देश !
इससे पहले ही हमे संभालना होगा और भारतीय कपड़े पेहेन्ने पर जोर देना होगा नही तो हमारी क्या हेसियत रह जायेगी
माना की चाइना के कमीना देश है जिसने भारत के साथ हमेशा धोखा ही किया है पर हमे उससे कुछ सीखना चाहिए उसने आज भी अपनी संस्कृति को बचा रखा है इन विदेशी ताकतों से |
तो में तो ठहरा एक छोटा सा नन्हा सा लेखक में कर भी क्या सकता हूँ अपनी बात ही रख सकता हूँ तो इस बच्चे की बात मान ही लीजिये ओर कुछ हमारे देश का भी पहनिए ना | ओर इस भड़कीले विधेशी लिवास को छोड़ कर हमारी वही दुनिया की सबसे सबसे बढ़िया क्वालिटी वाले पहनावे पर आ ही जाइये ना
कम से कम इतना भी नही कर सकते हो कम से कम अपने देश का बना कपड़ा ही पेहें लीजिये मत जाइये इन विदेशी शो रूम्स में हमें नही चाहिए रीबोक के कपड़े नही चैये पंतालूंस की जींस हमे तो चाहिए कुछ एसा जो एक भारतीय ने बनाया हो जिसमे से हमारे देश की मिटटी की खुशु आजाये ओर जो एक गरीब आदमी का पेट भर दे
ठीक है यार मेने भाहूत कहदिया आजकल मुझे कुछ ज्यादा ही बोलने की आदत हो गई है सच में तो अब आप ही सोचिये की आप ........................
खैके पान बनारस वाला बनना चाहते है या
माय नेम इस बोंड जेम्स बोंड
वंदे मातरम

1 टिप्पणी:

श्यामल सुमन ने कहा…

मजेदार प्रस्तुति। कहने का ढ़ंग पसन्द आया।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com